Monday, October 25, 2010

तेरी तस्वीर थी जो तुझसे छुपा ली मैंने


हमसे मत पूछो कि क्यों आँखें झुका ली मैंने
तेरी तस्वीर थी जो तुझसे छुपा ली मैंने,
उसपे लिखा था कि तेरी महोब्बत मेरे मुक़द्दर में नहीं
यही सोच कर अपने माथे की वह लक्रीर मिटा ली मैंने.

रात भर रो न सके



बिखरे अरमानों के मोती हम पिरो न सके
तेरे याद में सारी रात हम सो न सके,
भीग न जाये आँसुओं में तस्वीर तेरी
बस यही सोच कर हम रात भर रो न सके.

कफ़न की ख़ामोशी को शमसान क्या जाने



कफ़न की ख़ामोशी को शमसान क्या जाने,
महकते हुए चमन को वीरान क्या जाने,
क्यों बरसती है ये बदनसीब आखें,
इन आंसुओ की कीमत रेगिस्तान क्या जाने.

तुझे खोना भी मुश्कील है, तुझे पाना भी मुश्कील है !

तुझे खोना भी मुश्कील है, तुझे पाना भी मुश्कील है. जरा सी बात पर आंखें भीगो के बैठ जाते हो, तुझे अब अपने दील का हाल बताना भी मुश्किल है...